Kajari Teej Kab Hai कजरी तीज का महत्व, कहानी हिंदी में हर तीज का अपना महत्व है और उन सभी को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। तीज का महत्व महिलाओं के जीवन में बहुत ही ज्यादा होता है। हमारे देश में मुख्यतः 4 प्रकार की तीज मनाई जाती है-
इस लेख में हम जानेंगे अगस्त में तीज कब है, तीज कब है 2023, kajari teej, kajari teej 2023, kajari teej kab hai, kajari teej 2023 date, kajari teej kab hai 2023, kajari teej kab padega
आखा तीज, हरियाली तीज, कजरी तीज यानी बड़ी तीज और हरतालिका तीज
ठाकुर प्रसाद कैलेंडर के अनुसार साल 2023 में तीज की तारीख
Teej Festival | Date |
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Teej | कब है अक्षय तृतीया? |
पहला तीज | 18, August 2023 |
दूसरा तीज | 2, September 2023 |
तीसरा तीज | 18, September 2023 |
Kajari Teej Festival Kab Hai? | |
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Date | Saturday, 2 September Kajari Teej 2023 को |
मेला | कई जगह पर Teej Ka Mela लगता है, कजरी तीज लोगों द्वारा गर्मी के बाद मानसून का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। |
महत्व | कजरी तीज पर जो महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं, उन्हें अपने पति के साथ सम्मानजनक संबंध प्राप्त होते हैं। |
Kajari Teej Table of Contents

कजरी तीज कब मनाई जाती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार भादों की कृष्ण पक्ष तीज के पांचवें महीने को कजरी तीज के रूप में मनाया जाता है। साल 2023 यानि इस साल यह 2 September 2023 Kajari Teej मनाया जाएगा।
कजरी कजली तीज का महत्व
अन्य तीज त्योहारों की तरह इस तीज का भी एक अलग महत्व है। तीज एक ऐसा त्योहार है जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है। तीज का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने के लिए किया जाता है। दूसरी तीज की तरह यह भी हर दुल्हन के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और कुंवारी कन्या अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती है.
कजरी तीज कहाँ मनाई जाती है?
हमारे देश में, हर प्रांत में, हर त्योहार को अलग तरीके से मनाया जाता है। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान में हर जगह एक अलग तरीके से मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग नाव पर कजरी गीत गाते हैं। यह वाराणसी और मिर्जापुर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। वे बारिश के गीत के साथ तीज के गीत गाते हैं। राजस्थान के बूंदी इलाके में इस तीज का खासा महत्व है, इस दिन यहां काफी धूम-धाम होती है। भादों का तीसरा दिन वे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
इसका नाम कजरी तीज क्यों रखा गया है
इस तीज से जुड़ी एक और कहानी है। माता पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन शिव ने उनके सामने एक शर्त रखी और कहा कि अपनी भक्ति और प्रेम को सिद्ध करके दिखाओ। तब पार्वती ने 108 वर्ष तक कठोर तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया। शिव ने पार्वती से प्रसन्न होकर इस तीज को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए इसे कजरी तीज कहते हैं। कहा जाता है कि बड़ी तीज के दिन सभी देवता शिव पार्वती की पूजा करते हैं।
काजली तीज इस प्रकार मनाई जाती है
इस दिन हर घर में झूला लगाया जाता है। और महिलाएं इसमें झूला झूल कर अपनी खुशी का इजहार करती हैं। इस दिन महिलाएं अपने सहेलियों के साथ एक जगह इकट्ठा होती हैं और पूरा दिन नाच-गाने में बिताती हैं। महिलाएं अपने पति के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति के लिए व्रत रखती हैं। गांव के लोग ढोलक मंजीरे के साथ गीत गाते हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ा जाता है और इस व्यंजन को खाने के बाद ही व्रत खोला जाता है. विशेष रूप से गाय की पूजा की जाती है। मैदा की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ रखकर गाय को खिलाया जाता है।
कजरी तीज की कहानी –सात बेटों की कहानी
एक साहूकार था और उसके सात बेटे थे। उनकी सबसे बड़ी बहू तीज के दिन एक नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है, तभी उनके पति की मृत्यु हो जाती है। कुछ समय बाद उसके दूसरे बेटे की शादी हो जाती है, दूसरी बहू भी तीज के दिन नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है, तभी उसके पति की मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार उस साहूकार के 6 पुत्रों की मृत्यु हो जाती है।
फिर सातवें बेटे की शादी होती है और तीज के दिन उसकी पत्नी अपनी सास से कहती है कि वह आज नीम के पेड़ की जगह उसकी टहनी तोड़कर उसकी पूजा करेगी। फिर वह पूजा कर रही है कि साहूकार के सभी 6 पुत्र अचानक वापस यानि जीवित हो जाते हैं। फिर वह अपनी सभी बहनों को बुलाती है और उन्हें नीम के पेड़ की डाली की पूजा करने और पिंडा काटने के लिए कहती है।
फिर वह बताती है कि जब उसका पति यहां नहीं है तो वह पूजा कैसे कर सकती है। तब छोटी बहु बताती है कि उनके पति जीवित हैं। तब वह सभी प्रसन्न होती है और अपने पति के साथ नीम की डाली की पूजा करती है। इसके बाद यह बात हर जगह फैल गई कि इस तीज पर नीम के पेड़ की नहीं बल्कि उसकी टहनी की पूजा करनी चाहिए।
FAQs- Kajari Teej 2023
ठाकुर प्रसाद कैलेंडर के अनुसार 2023 में कजरी तीज कब है?
ठाकुर प्रसाद पंचांग के अनुसार 2023 में कजरी तीज शनिवार, २ अगस्त को है।
कजली तीज 2023 कब है?
शनिवार, 02 सितंबर 2023: भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। कजरी तीज को बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है, जो छोटी तीज के विपरीत है। यह पर्व उत्तर प्रदेश के बनारस और मिर्जापुर में विशेष रूप से मनाया जाता है।
कजरी तीज का व्रत क्यों रखा जाता है?
कजरी तीज सुहाग का प्रतीक है, इसलिए यह सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरे दिन निर्जला (बिना पानी के) व्रत रखती हैं।
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